ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) सबसे घातक संक्रमणों में से एक माना जाता है। एचआईवी संक्रमण के कारण एड्स की बीमारी होती है, जिसे लाइलाज माना जाता रहा है। संक्रमितों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सहायक चिकित्सा विधियों को प्रयोग में लाया जाता है। इससे इतर हाल ही में सामने आई रिपोर्ट ने इस लाइलाज मानी जाने वाली बीमारी को ठीक करने की एक नई दिशा दी है। रिपोर्ट के मुताबिक एचआईवी संक्रमित एक महिला का सफल इलाज किया गया है। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के जरिए महिला का इलाज कर उसे संक्रमण से ठीक किया गया है। इसके बाद अब तक दुनियाभर में एचआईवी से ठीक होने वाली वह पहली महिला और तीसरी व्यक्ति बन गई है।
रिपोर्टस के मुताबिक एचआईवी संक्रमित महिला ल्यूकेमिया से भी पीड़ित थी। स्टेमसेल एक ऐसे व्यक्ति ने दान किए थे जिसके अंदर एचआईवी वायरस के खिलाफ कुदरती प्रतिरोधक क्षमता थी। संक्रमित महिला ल्यूकेमिया से भी पीड़ित थी, जिसके इलाज के लिए मेल खाने वाले डोनर के माध्यम से प्राप्त कोर ब्लड की आवश्यकता थी। इस सफल इलाज के बाद एचआईवी संक्रमण को ठीक करने की एक नई राह मिली है। आइए इलाज के इस खास तकनीक के बारे में समझते हैं।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के माध्यम से एचआईवी का इलाज
एक सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के माध्यम से एचआईवी संक्रमित महिला के सफल इलाज के बारे में बताया। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को में एड्स विशेषज्ञ स्टीवन डीक्स ने संबोधन में बताया कि परीक्षण के दौरान रोगी में पहले कैंसर इम्यून सेल्स को मारने के लिए कीमोथेरेपी की जरूरत पड़ी। इस प्रक्रिया के बाद उसमें स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि अब महिला में एचआईवी वायरस के खिलाफ प्रतिरोधी प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित हो जाएगी।
एचआईवी के इलाज को लेकर बढ़ी उम्मीदें
उपचार में शामिल डॉक्टरों में से एक डॉ कोएन वैन बेसियन कहते हैं, हमारा अनुमान है कि अमेरिका में प्रति वर्ष लगभग 50 रोगी इस प्रक्रिया से लाभान्वित हो सकते हैं। आंशिक रूप से मिलान किए गए गर्भनाल रक्त ग्राफ्ट का उपयोग करने की क्षमता ऐसे रोगियों के लिए उपयुक्त दाताओं को खोजने की संभावना को बहुत बढ़ा देती है।
जिस महिला का सफल इलाज किया गया है, साल 2013 में उसमें एचआईवी का पता चला था। चार साल बाद डॉक्टरों ने उसमें ल्यूकेमिया का निदान किया। इसके बाद हैप्लो-कॉर्ड ट्रांसप्लांट के रूप में जानी जाने वाली एक प्रक्रिया में, उसे आंशिक रूप से मेल खाने वाले डोनर से कॉर्ड ब्लड दिया गया। इस प्रक्रिया की सफलता के बाद अब एचआईवी के इलाज को लेकर उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट क्या होता है?
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट या बोन मैरो ट्रांसप्लांट का उपयोग कुछ प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए किया जाता रहा है। इस प्रक्रिया को पेरिफेरल स्टेम सेल ट्रांसप्लांट या गर्भनाल रक्त ट्रांसप्लांट कहा जा सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि स्टेम कोशिकाएं कहां से प्राप्त की गई हैं? ब्लड स्टेम सेल, अस्थि मज्जा में निर्मित होते हैं। शरीर में पुरानी और खराब हो चुकी रक्त कोशिकाओं की जगह स्टेम कोशिकाएं लगातार विभिन्न प्रकार की रक्त कोशिकाओं में विभाजित और परिपक्व होती हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
एचआईवी संक्रमण से ठीक हुई महिला के बारे में एड्स विशेषज्ञ स्टीवन डीक्स कहते हैं, वैसे तो एचआईवी के सभी मामलों के इलाज के लिए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट को एक प्रभावी विकल्प नहीं माना जा सकता है। चूंकि इस तरह के प्रत्यारोपण बेहद जोखिम भरे होते हैं, इसलिए आमतौर पर इस प्रक्रिया के माध्यम से कैंसर रोगियों का इलाज किया जाता रहा है। हालांकि इस केस ने एचआईवी संक्रमण के इलाज के लिए नई उम्मीद दी है, इस बारे में आगे विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।
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